Education status of children living in slums is still bad
स्वतंत्रता के 75 साल बाद भी आज देश की एक बड़ी आबादी झुग्गी-झोपड़ियों में रहने को मजबूर है। इंसान की मूलभूत आवश्यकता रोटी, कपड़ा और मकान है लेकिन आज के इसमें शिक्षा भी जुड़ चुका है। अगर शिक्षा ना हो तो वर्तमान तो अंधकार में होगा ही साथ में भविष्य भी घोर अंधकार में होगा।
इन झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों का दो वक्त का भोजन भी काफी मुश्किल से नसीब होता है, ऐसे में इनके लिए शिक्षा की व्यवस्था होना काफी जटिल है। सरकारी विद्यालयों में शिक्षा को नि:शुल्क है किंतु गुणवत्ता के मामले में काफी पीछे है, यह भी कहा जा सकता है कि वहां शिक्षा ना के बराबर है। झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले ये गरीब - लाचार बच्चें मजबूरन सरकारी विद्यालयों में ही पढ़ते हैं, कई बच्चें ऐसे भी हैं जो वहाँ भी नहीं पढ़ पाते हैं।
बौद्धिक और शारीरिक विकास इनका बहुत कम हो पाता है, इनमें से बहुत सारे बच्चे बाल मजदूरी के भी शिकार हो जाते हैं, काफी कम उम्र में अधिक मेहनत करते हैं, अपने वजन से ज्यादा भारी वस्तुओं को उठाते हैं, और इस तरह से अपना बचपन गंवा देते हैं। मुख्य रूप से उनकी शिक्षा अधूरी रह जाती है।
इसके कारण अनेक हैं :
गांवों से शहरों की ओर पलायन :
झुग्गी - झोपड़ियों में रहने वाले ज्यादातर लोग गांवों से पलायन किए होते हैं। कई लोग रोजगार की तलाश में शहर को आते हैं और काफी कम संसाधन होने के वजह से उन्हें झुग्गी- झोपड़ियों में रहना पड़ता है, इनमें से ज्यादातर लोग मजदूर, ऑटो-रिक्शा चालक, सफाईकर्मी आदि होते हैं, जो कि काफी निर्धन होते हैं। उनका प्रयास अपने बच्चों को शिक्षित करने का पूरा होता है, लेकिन निर्धनता के वजह से उनका और उनके बच्चों का सपना अधूरा रह जाता है। आवश्यक यह है कि कई NGOs और सरकार को इन पर ध्यान देना चाहिए।
सरकारी योजनाओं का उन तक न पहुँच पाना :
केंद्र और राज्यों की सरकारों द्वारा गरीबों के हित में कई योजनाएं बनाई जाती है। इसके लिए आमजन को जागरूक होना और जानकार होना काफी महत्वपूर्ण है। इसके अलावा सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं, कई बार रिश्वत भी देना पड़ता है। इन झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले लोग ज्यादातर अशिक्षित हैं ,जिन्हें इन योजनाओं की जानकारी नहीं होती है, और यदि होती भी है तो उनके पास सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने के लिए समय और रिश्वत देने के लिए पैसे नहीं होते है। यह एक बहुत बड़ा कारण है।
शिक्षा और जागरूकता की कमी
झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले ज्यादातर लोग अशिक्षित होते हैं। वो जीविकोपार्जन के लिए पलायन किए होते हैं, गरीबी के कारण अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पाते साथ ही उनमें शिक्षा और जागरूकता की भी कमी है होती है, जिससे वो शिक्षा को खास महत्व नहीं देते हैं। समय के साथ-साथ इसमें भी बदलाव हो रहा है लोगों की मानसिकता बदल रही है।
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निष्कर्ष:-
यह सभी कारणों से स्पष्ट होता है कि झुग्गी - झोपडियों में रहने वाले लोगों की स्थिति कितनी बुरी है, और उनके बच्चों का शिक्षा और भविष्य भी बदहाल है। उन बच्चों और अभिभावकों को शिक्षा को लेकर जागरूक करने की आवश्यकता है, साथ ही सरकार को उनका साथ देकर उन्हें आगे बढ़ाना चाहिए, जिससे उन बच्चों में शिक्षा की ज्योति जले और भविष्य उज्जवल हो।